नई दिल्ली, 20 नवंबर: भारत की आजादी के 75वें वर्ष को चिह्नित करने के लिए केंद्रीय विज्ञान एवंप्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा सोमवार को युवा नवोन्मेषकों के लिए मेंटरशिप कार्यक्रम की शुरुआत कीगई है।’डीबीटी-स्टार कॉलेज मेंटरशिप कार्यक्रम’ नामक इस कार्यक्रम का उद्देश्य विशेष रूप से विज्ञान शिक्षा एवं नवाचार के क्षेत्र में नेटवर्किंग, सहयोग और आउटरीच की अवधारणा का विस्तार करना है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि“स्टार कॉलेज मेंटरशिप कार्यक्रम युवा वैज्ञानिकों और छात्रों को श्रेष्ठ शिक्षण और सहयोग के माध्यम से भविष्य की चुनौतियों को हल करने से संबंधित नवाचार और समाधान खोजने में मदद करेगा।”उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा समर्थित इस अखिल भारतीय योजना में देश के हर जिले में एक ‘स्टार कॉलेज’ की परिकल्पना की गई है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा इस संदर्भ में जारी एक बयान में कहा गया है कि सरकार देश में वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार प्रयासों को मजबूत करके जनता, विशेष रूप से युवाओं के बीच वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है। मेंटरशिप योजना में हर महीने कार्यशालाओं एवं बैठकों का आयोजन, विशेष रूप से ग्रामीण या कम संपन्न क्षेत्रों में विज्ञान शिक्षण में सुधार के लिए अंडर-ग्रेजुएट शिक्षा की पेशकश करने वाले कॉलेजों और सरकारी स्कूलों के साथ आउटरीच गतिविधियों का संचालन किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्टार कॉलेज देशभर में अंडर-ग्रेजुएट विज्ञान पाठ्यक्रमों को मजबूत करने की दिशा में डीबीटी के दृष्टिकोण को मेंटरशिप कार्यक्रम में शामिल करने में मदद करेंगे, नये कॉलेजों को सहयोग और समकक्ष शिक्षण के माध्यम से सलाह देंगे, और उन्हें स्टार कॉलेज योजना में शामिल होने में मदद करेंगे। डॉ सिंह ने बताया कि वर्तमान में देशभर में कुल 278 स्नातक कॉलेजों को स्टार कॉलेज योजना के तहत सहायता प्रदान की जा रही है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 के दौरान शहरी और ग्रामीण श्रेणियों में योजना के वर्गीकरण ने देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के आवेदकों के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित किए हैं। उन्होंने इस बात पर भी संतोष व्यक्त किया कि वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों के 55 कॉलेजों और आकांक्षी जिलों के 15 कॉलेजों को दो साल की लघु अवधि के लिए इस योजना के अंतर्गत सहायता प्रदान की जा रही है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि पिछले पाँच वर्षों में 1.5लाख से अधिक छात्रों को सहायता प्रदान की गई है और स्टार कॉलेज योजना में भाग लेने वाले कॉलेजों को भी व्यापक मदद मिली है। उन्होंने कहा कि यह सहायता केवल उपकरणों की खरीद तक सीमितनहींहै, बल्कि यह संकाय और प्रयोगशाला कर्मचारियों के प्रशिक्षण, प्रख्यात वैज्ञानिकों के व्याख्यान, अनुसंधान संस्थानों और उद्योग आदि के भ्रमण में भी सहायता प्रदान करती है। इस प्रकार की समग्र सहायता से सक्षम वातावरण का निर्माण होने की उम्मीद है, ताकि छात्र प्रेरित हों और विज्ञान शिक्षा प्राप्त करें।
उन्होंने यह भी कहा कि मानव संसाधन विकास से संबंधित योजनाओं, जैसे- स्टार कॉलेज योजना, जैव प्रौद्योगिकी में कौशल विज्ञान कार्यक्रम, जैव औद्योगिक प्रशिक्षण कार्यक्रम, डॉक्टोरल तथा पोस्ट-डॉक्टोरल और रि-एंट्री योजनाएं और फेलोशिप तथा इसी तरह की अन्य योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। (इंडिया साइंस वायर)