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मधुमक्खी के छत्ते की अनुकृति आधारित ध्वनि-अवशोषक तकनीक विकसित

Developed sound-absorbing technology based on bee hive simulation

नई दिल्ली: अनेक प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के पीछे ध्वनि प्रदूषण को जिम्मेदार कारक के रूपमें देखा जा रहा है। वातावरण में बढ़ते शोर के विरुद्ध भारतीय शोधकर्ताओं ने पेपर और पॉलीमर से बने ध्वनि को अवशोषित करने वाले पैनल विकसित किए हैं, जिनकी संरचना मधुमक्खी के छत्ते से मिलती है।यह ध्वनिक ऊर्जा को कम-आवृत्ति रेंज में ही नष्ट करने में सक्षम है। इसका ध्वनि विज्ञान से जुड़े विभिन्न अनुप्रयोगों में उपयोग के साथ ही इससे ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है।

यह देखा गया है कि ध्वनि की उच्च आवृत्ति के नियंत्रण में कई पारंपरिक और प्राकृतिक संरचनाएंउपयोगी सिद्ध हुई हैं। मधुमक्खी के छत्तों को उनकी ज्यामितीय संरचना के कारण उच्च और निम्न आवृत्तियों को कुशलतापूर्वक नियंत्रित करने में काफी मददगार पाया गया है। सैद्धांतिक विश्लेषणों और अनुभवजन्य पड़ताल में ध्वनिक ऊर्जा के कंपन ऊर्जा में रूपांतरण के संकेत मिले हैं। यह कंपन ऊर्जा दीवार में नमी वाले गुण के कारण ऊष्मा के रूप में नष्ट हो जाती है। इस विशिष्टता का अनुकरण ध्वनि प्रदूषण के लिए एक कारगर एवंकिफायतीसमाधान प्रस्तुत करता है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी) हैदराबाद में मैकेनिकल एंड एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत डा. बी वेंकटेशम और डा. सूर्या ने बायोमीट्रिक डिजाइन प्रविधि के प्रयोग से इस विशिष्टता को भुनाने में सफलता प्राप्त की है। इस पद्धति में मधुमक्खी के छत्ते के नमूने की ध्वनिक ऊर्जा-व्यय की भौतिकी को समझकर फिर उसी अनुरूप डिजाइन विकसित किया गया।

टीम ने एक गणितीय मॉडल विकसित किया और अनुकूलित मापदंडों की गणना की औरव्यवस्थित, नियंत्रित मापदंडों का उपयोग करके परीक्षण के नमूने तैयार किए। इसके बाद एक बड़े नमूने का निर्माण किया गया। उन्होंने दो अलग-अलग प्रकार की सामग्रियों के साथ दो विभिन्न तरीकों और उनसे संबंधित प्रोटोटाइप मशीनों का उपयोग किया है। एक प्रोटोटाइप पेपर हनीकॉम्ब के लिए इनडेक्स्ड (अनुक्रमित)-हनीकॉम्ब बिफोर एक्सपेंशन (HOBE) प्रक्रिया पर आधारित है और दूसरी प्रोटोटाइप मशीन हॉट वायर तकनीक पर आधारित पॉलीमर हनीकॉम्ब संरचना के लिए है।

पैनलों को स्टैक्ड एक्सट्रूडेड पॉलीप्रोपीन स्ट्रॉ को काटकर तैयार किया गया। गर्म तार की मदद से स्लाइसिंग प्रक्रिया कर स्ट्रॉ को भी आपस में बांधा जाता है। कम मोटाई और ध्वनिक पैनलों की उच्च विशिष्ट शक्ति के साथ विकसित की गई नई तकनीक ध्वनिक ऊर्जा अपव्यय का एक तंत्र प्रदान करती है। इस कार्य के हिस्से के रूप में बड़े नमूनों के अवशोषण गुणांक को मापने के लिए एक परीक्षण सुविधा भी स्थापित की गई है।

डॉ. वेंकटेशम का कहना है कि यह तकनीक, कम आवृत्ति अनुप्रयोगों पर आधारित पारंपरिक ध्वनि-अवशोषित करने वाली सामग्रियों के बाजार के 15% हिस्से पर पैठ बनाने का अवसर पैदा कर सकती है।

यह तकनीक भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी प्रोग्राम के समर्थन से तैयार हुई है। अभी यह तकनीकी रेडीनेस लेवल के छठे स्तर पर है। वहीं डॉ. बी वेंकटेशम ने ईटोन प्राइवेट लिमिटेड और महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम खराड़ी नॉलेज पार्क, पुणे के साथ इसमें सहयोग के लिए अनुबंध भी किया है।(इंडिया साइंस वायर)

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