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“कोविड प्रसार का पता लगाने का प्रभावी उपाय सीवेज निगरानी”

"Effective measures to detect covid proliferation sewage monitoring"

उपराष्ट्रपति डॉ एम. वेंकैया नायडु के साथ डॉ शेखर सी. मांडे (बाएं से तीसरे), डॉ राकेश मिश्रा (बाएं से दूसरे), डॉ. अत्याु कापले (बाएं से पहले), डॉ. एस. चन्द्रीशेखर (दाएं से दूसरे) एवं डॉ वेंकटा मोहन (दाएं से पहले)

नई दिल्ली: सीवेज निगरानी,किसी शहर की आबादी में संक्रमित लोगों की संख्‍या के बारे में गुणात्‍मक एवं मात्रात्‍मक अनुमान प्रदान कर सकती है। इसका उपयोग कोविड-19 के बढ़ने की प्रक्रिया को समझने के लिए उस समय किया जा सकता है, जब बड़े पैमाने पर लोगों के परीक्षण करने संभव नहीं होते हैं। यह पद्धति वास्‍तविक समय में समुदायों में कोविड के प्रसार की समग्र निगरानी करने का एक प्रभावी उपाय है।

कोविड-19 की व्यापकता का पता लगाने के लिए सीवेज एवं हवा की निगरानी से संबंधित प्रणाली के बारे में उपराष्ट्रपति श्री एम. वें‍कैया नायडू को जानकारी देते हुए ये बातें वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के सचिवएवं वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने कही हैं।

डॉ. मांडे ने बताया कि कोविड-19 की सीवेज निगरानी न केवल इस महामारी को समझने में मदद करेगी, बल्कि भविष्‍य में कोविड-19 के फैलने और उसका शीघ्रता से पता लगाने में भी महत्‍वपूर्ण साबित होगी। उन्होंने कहा है कि कोविड-19 मरीजों के मल में सार्स-कोव-2 वायरस मौजूद होते हैं। ये वायरस रोग से संबंधित लक्षणों वाले मरीजों के साथ-साथ बिना लक्षणों वाले मरीजों के मल में भी पाए जाते हैं। सीवेज में इस वायरस के प्रसार से संक्रमण के रुझान के बारे में जानकारी मिल जाती है।

डॉ. मांडे ने उपराष्ट्रपति के समक्ष  हैदराबाद, प्रयागराज, दिल्‍ली, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, पुद्दुचेरी और चेन्‍नई में संक्रमण की प्रवृत्ति का पता लगाने के लिए सीवेज निगरानी से संबंधित आंकड़ों को भी पेश किया है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार से संक्रमित लोगों की संख्‍या के बारे में एक अनुमान प्राप्‍त हो जाता है, क्‍योंकि व्‍यक्तिगत स्‍तर पर नमूने एकत्रित किया जाना संभव नहीं होता है। वहीं, नियमित परीक्षण से केवल वही आंकड़े मिल सकते हैं, जिनमें लोगों की जाँच व्‍यक्तिगत स्‍तर पर की गई है।

उपराष्ट्रति से हाल में एक मुलाकात के दौरान डॉ मांडे नेवायरस की मौजूदगी और उसकी संक्रमण क्षमता की निगरानी के लिए हवा के नमूने एकत्रित करने से संबंधित प्रणाली स्‍थापित करने का सुझाव भी दिया है।उन्होंने उपराष्ट्रपति को सीएसआईआर की विभिन्न प्रयोगशालाओं की गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी है।

इस दौरान डॉ मांडे के साथ सीएसआईआर-कोशकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) के निदेशक डॉ राकेश मिश्रा, सीएसआईआर-इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्‍नोलॉजी (आईआईसीटी) के निदेशक डॉ. एस. चन्‍द्रशेखर, सीएसआईआर-आईआईसीटी के वैज्ञानिक डॉ वेंकटा मोहन एवं सीएसआईआर-नीरी की वैज्ञानिक डॉ. अत्‍या कापले उपस्थित थे।

डॉ मांडे ने उपराष्ट्रपति को सीवेज और एयर सर्विलांस प्रणाली भारतीय संसद में स्‍थापित करने का सुझाव दिया है। उपराष्‍ट्रपति ने वैज्ञानिकों को उनके कार्यों के लिए बधाई दी है, और प्रतिनिधिमंडल को आश्‍वासन दिया कि वह इस विषय पर लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला और सरकार के साथ चर्चा करेंगे।(इंडिया साइंस वायर)

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