भारत पर्यावास केंद्र में ‘हिंदी पक्षोत्सव’ समारोह का आयोजन

नई दिल्ली: भारत पर्यावास केंद्र (इंडिया हैबिटैट सेंटर) के भारत बोध केंद्र के अंतर्गत नवगठित राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा हिंदी पक्षोत्सव समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन गुलमोहर सभागार में किया गया।

समारोह का उद्देश्य राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार, सृजनशीलता और अभिव्यक्ति की भावना को प्रोत्साहित करना था। पूरे पक्षोत्सव के दौरान केंद्र के कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे वातावरण हिंदीमय और रचनात्मक बना रहा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्र के निदेशक प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश ने की और वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री अनंत विजय मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने कर्मचारियों और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा — “यह आयोजन केवल एक भाषाई कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारी मूल भाषा से पुनः साक्षात्कार का क्षण है, जिसने हमें हमारी जड़ों, हमारी मातृभाषा और हमारे स्व से पुनः मिला दिया। हिंदी भाषा की मौलिकता में उसका मूल संस्कृत रहे, उसमें संयोजन नहीं होना चाहिए।”

मुख्य अतिथि ने हिंदी की 100 श्रेष्ठतम कृतियाँ केंद्र के पुस्तकालय को भेंट करने की घोषणा भी की।

प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश ने कहा — “हिंदी हमारे विचारों की भाषा है — यह केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी चेतना, संस्कृति और संवेदना का आधार है। जब हम अपनी मातृभाषा में सोचते और सृजन करते हैं, तो हम अपने मूल से जुड़ते हैं और अपनी पहचान को पुनः परिभाषित करते हैं। यही जुड़ाव राष्ट्र को सशक्त बनाता है और हमें अपनी जड़ों के प्रति गर्व का बोध कराता है।”

निदेशक के मार्गदर्शन में गठित यह समिति हिंदी के प्रचार, संवर्धन और संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल रही।

समारोह में तीन प्रमुख गतिविधियाँ आयोजित की गईं —

  • राजभाषा प्रेरक पुस्तक प्रदर्शन, जिसमें प्रेमचंद, भारती, रेणु, दिनकर, बच्चन आदि की क्लासिक कृतियाँ और नाट्यशास्त्र, योगसूत्र, अर्थशास्त्र जैसे ग्रंथ प्रदर्शित किए गए।
  • काव्य पाठ प्रतियोगिता, जिसमें कर्मचारियों ने अपनी मौलिक कविताओं से हिंदी के प्रति भावना व्यक्त की। निर्णायक श्री रंजन कुमार बरुण ने सभी चयनित कविताओं को आवास भारती पत्रिका में प्रकाशित करने की घोषणा की।
  • पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता, जिसमें हैबिटैट लर्निंग सेंटर के 95 विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और हिंदी के प्रति अपने विचारों को सृजनात्मक रूप में प्रस्तुत किया।

समारोह का समापन विजेताओं को सम्मान-पत्र और पुस्तक कूपन प्रदान कर किया गया। यह आयोजन हिंदी भाषा की आत्मा, सृजनशीलता और सांस्कृतिक संवाद का एक प्रेरक उदाहरण रहा, जिसने भारत पर्यावास केंद्र में हिंदी की नई चेतना का संचार किया।

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