नई दिल्ली : सीमित ऊर्जा संसाधनों को देखते हुए इसके वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास हो रहे हैं। इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को सुदृढ़ बनाने के इरादे से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली और हुंडई मोटर्स इंडिया के बीच एक नयी साझेदारी की घोषणा की गई है। इस संयुक्त पहल का लाभ आईआईटी, दिल्ली के छात्रों को विशेष रूप-से मिल सकता है। नयी साझेदारी के अंतर्गत आईआईटी, दिल्ली के छात्रों को वैकल्पिक ऊर्जा से संचालित वाहनों के विकास, उभरती प्रौद्योगिकियों के अध्ययन और अत्याधुनिक वाहनों से जुड़े नवाचार के लिए हुंडई मोटर्स की ओर से अनुसंधान और प्रशिक्षण सहयोग मिल सकेगा।
इस संबंध में, आईआईटी, दिल्ली के फाउंडेशन फॉर इनोवेशन ऐंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (FITT), और हुंडई मोटर्स की सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित इकाई हुंडई इंडिया फाउंडेशन के बीच एक सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं। वाहनों, विशेष रूप से कारों तथा ट्रकों के शोर, कंपन एवं कठोरता (एनवीएच) और बैटरी संबंधी विशेषताओं के अध्ययन के लिए हुंडई मोटर इंडिया की ओर से आईआईटी, दिल्ली को कंपनी की द्वारा निर्मित इलेक्ट्रिक कार ‘कोना’ प्रदान की गई है। कहा जा रहा है कि यह कार आईआईटी, दिल्ली के छात्रों को वैकल्पिक ऊर्जा से संचालित वाहनों का अध्ययन करने में उपयोगी साबित होगी।
आईआईटी, दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर वी. रामगोपाल राव और हुंडई मोटर इंडिया के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.एस. किम के बीच इस संबंध में एक सहमति-पत्र का परस्पर आदान-प्रदान किया गया है। प्रोफेसर वी. रामगोपाल राव ने कहा कि “आईआईटी, दिल्ली उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में उद्योग-जगत के अनुरूप अनुसंधान कार्यों पर जोर देता रहा है। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि आईआईटी, दिल्ली के सेंटर फॉर ऑटोमोटिव रिसर्च ऐंड ट्राइबोलॉजी (CART) के लिए ई-मोबिलिटी के क्षेत्र में हुंडई के साथ विभिन्न अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।” उन्होंने कहा कि यह साझेदारी आईआईटी, दिल्ली और हुंडई के साथ सहयोग को मजबूत बनाने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
हुंडई मोटर इंडिया के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.एस. किम ने कहा कि “हम अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विकास पर जोर देते हैं, जिसमें स्वच्छ ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत शामिल हैं। इस पहल का सबसे अधिक लाभ आईआईटी, दिल्ली के सेंटर फॉर ऑटोमोटिव रिसर्च ऐंड ट्राइबोलॉजी (CART) में शोध कार्य कर रहे छात्रों को मिल सकेगा।”
(इंडिया सांइस वायर)