नई दिल्ली (इंडिया साइंस वायर): अंतरिक्ष अनंत है और उसमें अथाह संभावनाएं छिपी हुई हैं। भारत के पास इन संभावनाओं को भुनाने के लिए भरपूर तकनीकी एवं वैज्ञानिक क्षमता उपलब्ध है। इस मोर्चे पर विद्यमान चुनौतियों को अवसर में बदलकर हम भारतीय एक नई इबारत लिख सकते हैं। इसरो के विख्यात वैज्ञानिक डॉ एम. अन्नादुरै ने ये बातें कही हैं। डॉ अन्नादुरै भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गाँधीनगर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
डॉ एम. अन्नादुरै को चंद्रयान-1 एवं चंद्रयान-2 के परियोजना निदेशक और मंगलयान मिशन के कार्यक्रम निदेशक के रूप में विशेष लोकप्रियता मिली है। चंद्रयान मिशन में अपने उल्लेखनीय योगदान के कारण डॉ अन्नादुरै को ‘मून-मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से भी नवाजा जाता है। उन्होंने अपने संबोधन से भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण से जुड़ी क्षमताओं, चुनौतियों एवं इस क्षेत्र से जुड़े अवसरों पर व्यापक चर्चा की। वह आईआईटी गाँधीनगर द्वारा आयोजित ‘अंतरिक्ष से पृथ्वीः चुनौतियों और अवसरों की विरासत’ विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के भविष्य को लेकर डॉ अन्नादुरै ने कहा कि सैटेलाइट (उपग्रह) निर्माण और इससे संबंधित शोध एवं विकास गतिविधियों की दृष्टि से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम उभरते देशों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अवसंरचना बेजोड़ है, और यही हमारी सबसे शानदार विरासत है।
डॉ अन्नादुरै ने कहा कि “बीते कुछ दशकों में अंतरिक्ष अनुसंधान नें मानव जाति को बेहद लाभ पहुँचाया है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने आज इतनी प्रगति कर ली है कि वह दुनिया के आधुनिकतम एवं अग्रणी अंतरिक्ष कार्यक्रमों के रूप में स्थापित और प्रतिष्ठित हुआ है। अंतरिक्ष आपके समक्ष चुनौतियां प्रस्तुत करता है, जिन्हें आपको अवसरों में रूपांतरित करना होता है।” उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष अनुसंधानों ने आज मौसम की सटीक भविष्यवाणी, नेविगेशन और रिमोट सेंसिंग जैसे चुनौतीपूर्ण कार्यों को आसान बना दिया है। इस क्षेत्र में भारत की क्षमता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हम चंद्रमा और मंगल तक अपनी छाप छोड़ने में सफल हुए हैं।
अंतरिक्ष में मौजूद चुनौतियों और अवसर के मोर्चे पर भारतीय क्षमताओं को रेखांकित करते हुए डॉ अन्नादुरै कहा कि हमने दुनिया को यह दिखाया है कि कम खर्च में भी उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। इस संबंध में उन्होंने भारत के चंद्रयान अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां भी चंद्रमा पर पानी की खोज से जुड़े अभियान चला रही थीं, लेकिन भारत ने इससे संबंधित जानकारी अपेक्षाकृत कम खर्च वाले मिशन के माध्यम से प्राप्त कर लीं। उन्होंने कहा, भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य करने के लिए तत्पर प्रतिभाओं का भंडार है, जिन्हें तराशा जाए तो बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। (इंडिया साइंस वायर)