नई दिल्ली: किसी भी देश के विकास में विज्ञान का बहुत अहम योगदान होता है। भारत की वैज्ञानिक प्रगति में भौतिक-विज्ञानी सर चंद्रशेखर वेंकट रामन (सी.वी. रामन) के शोध और अविष्कार बेहद महत्वपूर्ण हैं। उनके एक शोध ‘रामन प्रभाव’ के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1928 में आज ही के दिन किए गए उनके इस आविष्कार को याद करने और छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिये हर वर्ष 28 फरवरी को ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2021 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम ‘विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार का भविष्य: शिक्षा, कौशल एवं कार्य पर प्रभाव’ (‘फ्चूयर ऑफ एसटीआईः इंपैक्ट ऑन एजुकेशन, स्किल ऐंड वर्क’) रखी गयी है।
सीवी रामन की गिनती देश के सार्वकालिक महानतम वैज्ञानिकों में की जाती है। प्रकाश की प्रकृति और उसके स्वरूप के आधार पर की गई उनकी खोज दुनिया की असाधारण वैज्ञानिक उपलब्धियों में गिनी जाती है। सर सी.वी. रामन ने 28 फरवरी 1928 को रामन प्रभाव की खोज की थी। उनकी इस खोज को 28 फरवरी 1930 को ही मान्यता मिली थी। भारत में वर्ष 1987 से हर साल इस दिन को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरुआत हुई। इसका उद्देश्य रामन की वैज्ञानिक परंपरा को और समृद्ध करके नई पीढ़ी को विज्ञान के प्रति प्रोत्साहित करना है, ताकि वैज्ञानिक गतिविधियों को बल मिल सके। अपनी खोज के लिए सर सी.वी. रामन को वर्ष 1930 में भौतिकी में मिला नोबेल पुरस्कार किसी भी भारतीय व एशियाई व्यक्ति को दिया गया पहला नोबेल पुरस्कार था।
समकालीन चुनौतियों और प्रासंगिकता के अनुसार इस बार निर्धारित की गई राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की विषयवस्तु एकदम उपयुक्त है, क्योंकि देश में इनोवेशन यानी नवाचार से लेकर कौशल विकास इत्यादि पहलुओं पर बहुत तेजी से काम हो रहा है। देश में युवाओं की बड़ी आबादी को देखते हुए उन्हें रचनात्मक कार्यों से जोड़ा जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसमें विज्ञान महती भूमिका निभा सकता है। ऐसे में, इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम सर्वथा सामयिक एवं अर्थपूर्ण हो गई है, जो युवाओं को विज्ञान के समक्ष चुनौतियों और उनका समाधान खोजने के लिए प्रेरित करेगी।
हर वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के आयोजन के मूल में विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित करना, विज्ञान के क्षेत्र में नये प्रयोगों के लिए प्रेरित करना, तथा विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाने की भावना है। इस दिन देशभर में वैज्ञानिक संस्थानों, प्रयोगशालाओं, विज्ञान अकादमी, स्कूल, कॉलेज तथा प्रशिक्षण संस्थानों में वैज्ञानिक गतिविधियों से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं। इन कार्यक्रमों में विज्ञान के क्षेत्र में अनुकरणीय उपलब्धियां हासिल करने वालों के संबोधन नई पीढ़ी को प्रेरित करने का काम करते हैं।
इस अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में देश में विज्ञान की निरंतर उन्नति का आह्वान किया जाता है। यह दिन आम लोगों के लिए भी विज्ञान की महत्ता को रेखांकित करने वाला होता है कि कैसे विज्ञान के नये आविष्कार और नवाचार उनके जीवन को आसान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के आयोजन का एक उद्देश्य यह भी है कि इस दौरान विज्ञान से जुड़ी विभिन्न भ्रांतियों को दूर करके उनके विषय में एक सही सोच और दर्शन का विकास किया जा सके। इस दौरान एक लक्ष्य यह संदेश भी देना होता है कि विज्ञान के माध्यम से हम अपने जीवन को कैसे अधिक से अधिक खुशहाल बनाकर मानवता के हित में योगदान दे सकते हैं। (इंडिया साइंस वायर)
(फोटोः विकीमीडिया कॉमन्स)