नई दिल्ली : छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए एक अच्छी ख़बर है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर के शोधार्थियों ने सौर ऊर्जा से चलने वाला एक कीटनाशक छिड़काव-यंत्र विकसित किया है। यह उपकरण छोटी जोत के लिए न केवल प्रभावी, अपितु ऊर्जा खपत के दृष्टिकोण से भी उपयोगी सिद्ध होगा। साथ ही इससे किसानों की जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता भी घटेगी।
अपनी बेहतर उपज के लिए फसल चक्र के विभिन्न स्तरों पर फसल को कीटों एवं बीमारियों से बचाना किसान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। जहां बड़े खेत के लिए ट्रैक्टर से संचालित होने वाले स्प्रेयर (छिड़काव करने वाले यंत्र) का उपयोग होता है वहीं छोटी जोत के लिए कंधे पर टांगने वाले स्प्रेयर का अमूमन प्रयोग किया जाता है। कंधे पर टांगने वाले स्प्रेयर के प्रयोग में समान रूप से छिड़काव न होने की आशंका रहती है। साथ ही, उसमें भारी श्रम और समय लगता है। वहीं, छोटे खेत के लिए ट्रैक्टर चालित स्प्रेयर को व्यावहारिक नहीं माना जाता, और उसके साथ पर्यावरणीय अपकर्षण के जोखिम भी जुड़े रहते हैं।
केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय की वर्ष 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 82% किसान छोटे एवं सीमांत श्रेणी के ही हैं जिनके पास दो हेक्टेयर से छोटे खेत हैं। ऐसे में इन किसानों की बेहतरी और वर्ष 2022 तक उनकी आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य की पूर्ति हेतु नई तकनीकों को प्रोत्साहन देना आवश्यक है। आईआईटी खड़गपुर के निदेशक वीरेंद्र के तिवारी कहते हैं, ‘यह देश के तकनीकी संस्थानों के लिए खुला आह्वान है कि वे कृषि को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक एवं उत्कृष्ट तकनीकों का विकास करें।’ इस मामले में आईआईटी खड़गपुर की गंभीरता को इसी तथ्य से समझा जा सकता है कि वहां कृषि एवं खाद्य आभियांत्रिकी के रूप में एक अलग विभाग गठित कर उसके लिए अलग से अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था है।
संस्थान में बनाये गये सौर ऊर्जा संचालित उपकरण को इसी विभाग द्वारा विकसित किया गया है। इसमें कार्यरत प्रोफेसर हिफजुर रहमान, अनूप बेहरा, राहुल के औऱ प्रोफेसर पीबीएस भदौरिया ने मिलकर ही इस अर्द्ध-स्वचालित कीटनाशक छिड़काव-यंत्र को तैयार किया है।
यह कीटनाशक छिड़काव-यंत्र एक प्रोपेलिंग यूनिट के रूप में काम करता है जिसमें एक लिक्विड स्टोरेज टैंक जुड़ा होता है। इसमें लगी एक डीसी मोटर पंप पर दबाव डालकर उससे छिड़काव की प्रक्रिया को संपन्न कराती है। छिड़काव स्रोत के सिरे पर तमाम छिद्र होते हैं ताकि छिड़काव के दौरान अधिक से अधिक क्षेत्र तक द्रव को पहुंचाया जा सके। सौर ऊर्जा संग्रहित करने वाली बैटरियां ऊर्जा स्रोत का काम करती है। इसी बैटरी से स्प्रे यूनिट और पंप दोनों संचालित होते हैं। कंधे पर टांगने वाली स्प्रे मशीन के उलट इसमें लगे लिक्विड स्टोरेज टैंक की क्षमता भी अधिक है। यह पूरा तंत्र तिपहिया ट्रॉली पर टिका है जो सौर ऊर्जा वाली बैटरियों से चलती है। बस इसके संचालन के लिए एक ऑपरेटर की आवश्यकता है।
प्रोफेसर रहमान का इस पर कहना है, ‘कंधे पर टांगने वाले पारंपरिक स्प्रेयर की तुलना में इस नए विकसित किए गए स्प्रेयर में अधिक रकबे तक पहुंचने के साथ ही छिड़काव की एकरूपता भी सुनिश्चित हो सकती है और इसमें संचालक के लिए भी काम बहुत आसान है। यह अधिकतम दो किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से एक समय में डेढ़ मीटर तक के दायरे में काम कर सकता है। इसमें समय की बचत भी होगी। साथ ही मानवीय और रासायनिक अंशभाग भी घटेगा।’ शोधार्थियों ने इस उपकरण के पेटेंट के लिए आवेदन भी कर दिया है। साथ ही साथ इसके व्यावसायिक उपयोग की योजना भी बनाई जा रही है। (इंडिया साइंस वायर)