नई दिल्ली: पौधों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होने के बावजूद कुछ आवश्यक अमीनो एसिड अक्सर पादप उत्पादों में मौजूद नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए दालों को ले सकते हैं, जो भारतीय शाकाहारी भोजन में शामिल प्रोटीन का एक प्रमुख स्रोत मानी जाती हैं। लेकिन, वैज्ञानिकों का कहना है कि दालों में सभी जरूरी अमीनो एसिड मौजूद नहीं होते हैं। यह पोषण संबंधी कमी बच्चों में विकास को प्रभावित करती है, और वयस्कों को विभिन्न बीमारियों की चपेट में आने का कारण बन सकती है।
एक नये अध्ययन में, देश में हर कहीं आसानी से मिल जाने वाले कद्दू के बीजोंको प्रोटीन एवं आवश्यक अमीनो एसिड का समृद्ध स्रोत बताया गया है। कद्दू के बीजों से अलग किए गए प्रोटीन घटकों का जैव-रासायनिक, पोषक एवं कार्यात्मक गुणों का विश्लेषण करने के बाद शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि कद्दू के बीजों को उपयुक्त रूप से आहार में शामिल किया जाए तो आवश्यक अमीनो अम्ल की कमी को दूर किया जा सकता है।
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की मैसूर स्थित प्रयोगशाला केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया यह अध्ययन शोध पत्रिका फूड केमिस्ट्री में प्रकाशित किया गया है। सीएफटीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक एवं एसोसिएट प्रोफेसर प्रसन्ना बासु एवं एस. विनयश्री ने संयुक्त रूप से यह अध्ययन किया है।
वैसे तो कद्दू की कई किस्में पायी जाती हैं। पर, हाल के दशकों में कद्दू की काशी हरित किस्म भारत के विभिन्न हिस्सों में सबसे ज्यादा प्रचलित हुई है। हालांकि, कद्दू की इस किस्म की लोकप्रियता बढ़ने के बावजूद इसके बीजों में पाए जाने वाले पोषण मूल्यों की पड़ताल नहीं की गई थी। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कद्दू की काशी हरित किस्म के बीजों के पोषण मूल्य का विश्लेषण किया है, जिसमें उन्हें कद्दू कीइस किस्म में प्रोटीन की उच्च मात्रा होने का पता चला है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके बीजों में ऐसे प्रोटीन पाए गए हैं, जो आसानी से पचाए जा सकते हैं। इसके साथ ही, कद्दू की इस किस्म के बीजों में सिर्फ एक अमीनो अम्ल को छोड़कर शेष सभी आवश्यक अमीनो अम्ल भी पाए गए हैं। काशी हरित कद्दू के बीजों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा संस्तुत अमीनो अम्ल की पर्याप्त मात्रा पायी गई है।
कई बार कुछ पोषण-रोधी कारक बीजों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को शरीर द्वारा ग्रहण करने में बाधा पैदा करते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ताओं ने अध्ययन करने पर पाया कि कद्दू के बीजों में प्रोटीन अवरोधक मौजूद नहीं थे। हालांकि, बेहद कम मात्रा में टैनिस एवं फाइटिक एसिड जैसे पोषण-रोधी या एंटी-न्यूट्रिएंट्स मौजूद थे।
शोधकर्ताओं का कहना है कि बीजों को गर्म करके या फिर उन्हें किण्वित करके पोषण-रोधी या एंटी-न्यूट्रिएंट्स कारकों को कम कर सकते हैं।इन बीजों में पाए जाने प्रोटीन में इमल्सिफाइंग गतिविधि दर्ज की गई है, जो खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों के दौरान प्रोटीन को स्थायी बनाए रखती है। इसलिए, काशी हरित के बीज, प्रोटीन का बेहतरीन शाकाहारी स्रोत हैं। इन बीजों को विभिन्न रूपों मेंदैनिक आहार में शामिल करके आवश्यक अमीनो अम्ल प्राप्त किए जा सकते हैं।
कद्दू को अंग्रेजी में पंपकिन (Pumpkin) कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम क्यूकरबिटा मॉसकैटा(Cucurbitamoschata)है, जो कि पौधों के ककड़ी वंश (Cucurbitaceae)का सदस्य है। कुकुरबिटेसी वंश के पौधों में खीरा, ककड़ी, खरबूजा, कद्दू, तरबूज आदि शामिल हैं।कुकुरबिटेसी कुल के अंर्तगत शामिल किस्में मुख्य रूप से विश्व के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पायी जाती हैं। (इंडिया साइंस वायर)