Site icon RD Times Hindi

ग्रीष्म लहरों के बढ़ते प्रकोप के पीछे आर्कटिक क्षेत्र का बढ़ता तापमान

Rising temperature of Arctic region behind the rising outbreak of summer waves

नई दिल्ली: भारत में मई और जून के महीने में चलने वाली ग्रीष्म लहरें जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर देती हैं। ग्रीष्म लहरों के प्रकोप में वर्ष दर वर्ष चिंताजनक वृद्धि देखी जारही है।ग्रीष्म लहरों की चपेट में आने से प्रति वर्ष बड़ीसंख्या में मनुष्यों और पशुधन की हानिहोती है। शोधकर्ताओं का कहना है किग्रीष्म लहरों ने भारत और पाकिस्तान के बड़े हिस्से को प्रभावित किया है।

भारत और ब्राजील के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक क्षेत्र में गर्मी लगातार बढ़ रही है, जिसका असर भारत के मौसम पर भी हो रहा है।भारतीय मौसम पर यह प्रभाव ‘क्यूआरयू’ मैकेनिज्म के कारण हो रहा है। ‘क्यूआरए’ मैकेनिज्म के तहत रॉस्बी तरंगें, जो पृथ्वी के वायुमंडल और महासागरों में प्राकृतिक रूप से पायी जाती हैं, पृथ्वी की स्थलाकृति और बढ़ते तापमान से प्रभावित होती हैं। अध्ययन में, भारत में ‘क्यूआरए’ की परिघटना और ग्रीष्म लहरों के चलने में परस्पर संबंध की बात सामने आई है।

शोध में कहा गया है कि आर्कटिक क्षेत्र चिंताजनक रूप से गर्म हो रहा है, जिसे “आर्कटिक वार्मिंग” कहा जाता है। आर्कटिक क्षेत्र मेंतापमान वैश्विक औसत से दुगनी तेजी से बढ़ रहा है। आर्कटिक क्षेत्र में बढ़ रही यह गर्मी “ग्लोबल वार्मिंग” का परिणाम है।

इसके पहले कई अन्य अध्ययनों में भी भारत मेंग्रीष्म लहरों के बढ़ते प्रकोप पर चिंता जताई गयी है। लेकिन, इसका एक संभावित कारणग्लोबल वार्मिंग हो सकता है, यह बात अब सामने आई है। वैज्ञानिकों का कहना है किइस प्रतिकूल जलवायु परिवर्तन के शमन की योजना बनाने की तत्काल आवश्यकता है।डॉ वीबी राव और अन्य शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में, अप्रैल से मई महीने के दौरान भारत में सतह के अधिकतम तापमान के कम से कम चार दिन पहलेसटीक पूर्वानुमान लगा लेने की बात भी बतायीहै।

‘लार्ज स्केल कनेक्शन टू डेडली इंडियन हीटवेव्स’शीर्षक से इस शोध के परिणाम ‘जर्नल ऑफ़ रॉयल मीटरोलॉजी’ में प्रकाशित हुए है। इस अध्ययन में राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, ब्राजील से डॉ वीबी राव,अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय से डॉ के. कोटेश्वर राव, एसआरएम इनस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से डॉ टी.वी. लक्ष्मी कुमार और हैदराबाद विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र गोवर्धन दांडु शामिल हैं। (इंडिया साइंस वायर)

Exit mobile version