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गंगा में प्लास्टिक प्रदूषण के अध्ययन के लिए मॉडल विकसित कर रहे हैं वैज्ञानिक

Scientists are developing models for the study of plastic pollution in the Ganga

गंगा में प्लास्टिक कचरे के अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं की टीम

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर, इसाबेल फाउंडेशन, ढाका यूनिवर्सिटी, भारतीय वन्यजीव संस्थान, और वाइल्ड टीम, बांग्लादेश के महिला वैज्ञानिकों एवं शोध छात्र गंगा नदी में प्लास्टिक प्रदूषण के स्तर का आकलन करने के लिए एक विशिष्ट मॉडल विकसित कर रहे हैं।

अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि यह मॉडल फील्ड डेटा पर आधारित है, जो भूमि से नदी और अंततः समुद्र में प्रवाहित होने वाले प्लास्टिक कचरे का बेहतर अनुमान लगाने में प्रभावी हो सकता है।

यह अध्ययन, गंगा नदी में प्लास्टिक प्रदूषण के स्तर का आकलन करने के लिए नेशनल जिओग्रैफिक सोसाइटी द्वारा वर्ष 2019 में शुरू किए गए एक अभियान का हिस्सा है। इसका उद्देश्य गंगा नदी में प्लास्टिक कचरे की चुनौती से निपटने के लिए समग्र एवं समावेशी समाधान तलाशना है।

इस अध्ययन के दौरान पूरे देश में गंगा के किनारों परबसे शहरों एवं कस्बों के नगरपालिका कचरे से नदी में प्रवाहित होने वाले प्लास्टिक की मात्रा का आकलन किया है, और भूमि से नदी तक प्लास्टिक कचरे के रिसाव से बचने के लिए अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को लेकर संभावित समाधान पेश किए हैं।

आईआईटी, खड़गपुर के प्रोफेसर ब्रजेश दुबे ने बताया कि “हमने ऋषिकेश से लेकर हावड़ा तक गंगा के किनारों के साथ-साथ नदी के तट पर बसे विभिन्न शहरों एवं कस्बों के कूड़ाघरों से प्लास्टिक के नमूने प्राप्त किए हैं। इस तरह, प्लास्टिक रूपों के साथ-साथ नदी में प्रवाहित होने वाले कुप्रबंधित प्लास्टिक कचरे आकलन किया गया है।”

आईआईटी, खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने इस दौरान कचरा प्रबंधन से संबंधित पद्धतियों पर केंद्रित फोटोग्राफिक सर्वेक्षण भी किया है। इसके साथ-साथ स्थानीय प्रशासन के साथ की गई चर्चाओं के आधार पर संभावित प्रभावी समाधान तलाशने की पहल भी की गई है। (इंडिया साइंस वायर)

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