भोजन में कैलोरी की मात्रा बताने वाला ऐप

नई दिल्ली: डायबिटीज पीड़ितों, दिल के रोगियों और अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अक्सर खानपान में कैलोरी को लेकर विशेष रूप से सतर्क रहना पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए अब यह पता लगाना आसान होगा कि उनके भोजन में कितनी कैलोरी शामिल है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद(आईसीएमआर) की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन)द्वारा विकसित एक मोबाइल ऐप इस काम में मदद कर सकता है।

पोषण स्तर में सुधार से संबंधित अपने प्रयासों के अंतर्गत कुछ समय पूर्व एनआईएन द्वारा न्यूट्रिफाई इंडिया नाउनामक ऐप लॉन्च किया गया है। इसे विकसित करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि यह ऐप पोषण संबंधी जरूरतों के बारे में लोगों को जागरूक करने में मददगार हो सकता है। यह ऐप भारतीय आहार और उसमें निहित पोषण मूल्यों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।यह ऐप उपयोगकर्ताओं  को ऊर्जा संतुलन (खपत बनाम व्यय) का लेखा-जोखा रखने में भी मदद करता है।

ऐप की एक प्रमुख खासियत यह है कि इसे भारतीय आबादी केविशिष्टडेटाबेस के आधार पर विकसित किया गया है। न्यूट्रिफाई इंडिया नाउ ऐप को प्रामाणिक औरव्यापकशोधके आधार पर विकसित किया गया है। देश के शीर्ष चिकित्सा अनुसंधान निकाय आईसीएमआर द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का उपयोग इस ऐप को अधिक प्रभावी बनाता है। इसमें भारतीय खाद्य पदार्थों, व्यंजनों तथा पोषण संबंधी जानकारियों को विशेष रूप से शामिल किया गया है।

यह ऐप भारतीय खाद्य पदार्थों एवं उनमें मौजूद कैलोरी, प्रोटीन, विटामिन, खनिजों और सामान्य भारतीय व्यंजनों की रेसिपी समेत पोषण संबंधी व्यापक जानकारी प्रदान करता है। इसे भारतीय उपयोगकर्ताओं को ध्यान में रखकर व्यापक पोषण मार्गदर्शिका प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। न्यूट्रिफाई इंडिया 17 भारतीय भाषाओं में खाद्य पदार्थों के नाम उपलब्ध कराता है।

इस ऐप में पोषक तत्वों, और अपनी रुचि के अनुसार खाद्य पदार्थों को सर्च किया जा सकता है। स्थानीय भाषा में किसी खाद्य पदार्थ का नाम डालकर भी उसे सर्च कर सकते हैं, और उसमें मौजूद गुणों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। न्यूट्रिफाई इंडिया ऑनलाइन ऐप स्टोर पर एंड्रॉयड और आईओएस प्लेटफॉर्म्स पर मुफ्त डाउनलोड के लिए उपलब्ध है।

इस ऐप को लॉन्च करते समय आईसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव ने कहा था कि“न्यूट्रिफाई इंडिया नाउऐप एक गाइड के रूप में कार्य करता है, जो उपभोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों से शरीर को मिलने वाले पोषक तत्वों का आकलन करने में मददगार हो सकता है।”प्रोफेसर भार्गव ने इस ऐप को गैर-संचारी रोगों से लड़ने की आईसीएमआर की पहल का एक प्रमुख अंग बताया है। उन्होंने कहा है कि “यह ऐप प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय पोषण मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है।”

एनआईएन की निदेशक डॉ हेमालता के अनुसार, “न्यूट्रिफाई इंडिया नाउऐप लोगों के व्यक्तिगत पोषण सलाहकार के रूप में कार्य करता है। इस ऐप में मौजूद महत्वपूर्ण डेटा इसे इंटरैक्टिव बनाते हैं।” उन्होंने बताया है कि वर्ष 2018 में एनआईएन के शताब्दी वर्ष में न्यूट्रिफाई इंडिया नाउऐप का निर्माण लोगों तक पोषण संबंधी जानकारियां पहुँचाने के प्रयासों को प्रभावी रूप देने के लिए किया गया था।

हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) को पोषण अनुसंधान के विभिन्न पहलुओं पर अपने अग्रणी अध्ययन के लिए जाना जाता है। प्रयोगशाला से लेकर चिकित्सीय और समुदाय समेत भोजन तथा पोषण के विविध क्षेत्रों में अग्रणी शोध एवं अनुसंधान के चलते इस संस्थान ने वैश्विक स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। वर्ष 1918 में इस संस्थान की शुरुआत ‘बेरी-बेरी’ इन्क्वायरी यूनिट के रूप में तमिलनाडु के कुनूर में स्थित पॉश्चर इंस्टीट्यूट में हुई थी।

सिर्फ सात वर्षों में ‘बेरी-बेरी’ इन्क्वायरी यूनिट अभावग्रस्त रोगों के अध्ययन केंद्र (डेफिशिएंसी डिजीज इन्क्वायरी) के रूप में विकसित हो गई, और बाद में वर्ष 1928 में यह पोषण अनुसंधान प्रयोगशाला (एनआरएल) के रूप में उभरी। वर्ष 1958 में इस संस्थान को हैदारबाद स्थानांतरित कर दिया गया, और वर्ष 1969 में संस्थान की स्वर्ण जयंती के मौके पर इसका नाम राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) रखा गया। (इंडिया साइंस वायर)

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