“भारतीय भाषाओं में विज्ञान संचार एवं शिक्षा सरकार की प्राथमिकता”

नई दिल्ली, 29 दिसंबर: केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि भारतीय भाषाओं में विज्ञान संचार एवं शिक्षा को बढ़ावा देना वर्तमान सरकार की कार्ययोजना में प्रमुखता से शामिल है। उन्होंने कहा कि छात्रों को स्थानीय भाषाओं में विज्ञान की पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने के प्रयास जारी हैं, और इस मिशन में रिसोर्स पर्सन के एक समूह को काम सौंपा गया है।

सीएसआईआर-मुख्यालय, नई दिल्ली में लोकप्रिय उर्दू विज्ञान मासिक तजस्सुस (जिज्ञासा) काताजा अंक जारी करते हुए बुधवार को डॉ जितेंद्र सिंह ने ये बातें कही हैं। तजस्सुस का प्रकाशन विज्ञान प्रसार, कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय और कश्मीर विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। इस मौके पर विज्ञान प्रसार द्वाराहिंदी एवं अंग्रेजी में प्रकाशित विज्ञान पत्रिका‘ड्रीम-2047’ का ताजा अंक भी जारी किया गया है। उल्लेखनीय है कि मातृभाषा में विज्ञान संचार विज्ञान प्रसार की प्राथमिकता में शामिल है।‘ड्रीम-2047’ भारत की स्वतंत्रता के 100वें वर्ष को संदर्भित करता है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा युवाओं में “विज्ञान के प्रति प्रेम” विकसित करने के लिए विज्ञान संचार को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय भाषाओं का उपयोग करने के लिए जोर देते हैं। उन्होंने यह रेखांकित किया कि भाषा की भूमिका बाधा नहीं, बल्कि सूत्रधार के रूप में होनी चाहिए।

इस साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का जिक्र करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में गरीब बच्चों के लिए मातृभाषा में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को यह कहते हुए उद्धृत किया है कि “हमारे देश में भाषा के संबंध में एक बड़ा विभाजन है और भाषा के इस पिंजरे ने प्रतिभाओं के विकास को बाधित किया है। अगर देशी भाषा-भाषी लोग आगे आएंगे तो उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा।”

डॉ जितेंद्र सिंह ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त की है कि विज्ञान प्रसार; कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय और कश्मीर विश्वविद्यालय के सहयोग से इन पत्रिकाओं का प्रकाशन कर रहा है। उन्होंने कहा, इन पत्रिकाओं का शुभारंभ कोई अकेला मामला नहीं है और इसे मोदी सरकार की आत्मानिर्भर भारत और डिजिटल इंडिया जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं की एक कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए।

डॉ सिंह ने कहा, जब रूस, जापान, जर्मनी और चीन जैसे उन्नत देशों के पास अपनी मातृभाषा में सर्वोत्तम विज्ञान साहित्य और परियोजनाएं हो सकती हैं, तो भारत ने भी सभी भारतीय भाषाओं में आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का संचार करने का बीड़ा उठाया है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, “एक वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्रीय वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों के प्रमुखों के साथ बातचीत मेंप्रधानमंत्री ने वैश्विक शोध पत्रिकाओं का भारतीय भाषाओं में अनुवाद और उच्च शिक्षा को डिजिटल करने पर जोर दिया है। उनका दृष्टिकोण भारतीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा का एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है।”

डॉ जितेंद्र सिंह ने विज्ञान प्रसार, कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय, और कश्मीर विश्वविद्यालय को उर्दू में आम लोगों के लिए विज्ञान साहित्य के निर्माण के लिए मंच तैयार करने के लिए सराहा है, और कहा है कि जल्द ही अन्य भारतीय भाषाओं के साथ कश्मीरी और डोगरी में विज्ञान लोकप्रियकरण,संचार एवं विस्तार प्रकाशन शुरू किए जाएंगे।

डॉ एस. चंद्रशेखर, सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग(डीएसटी), डॉ शेखर सी. मांडे, महानिदेशक, सीएसआईआर, डॉ फारूक अहमद शाह, प्रभारी कुलपति, कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय, और डॉ नकुल पाराशर, निदेशक, विज्ञान प्रसार ने भी इस कार्यक्रम को संबोधित किया।

विज्ञान प्रसार ने भारतीय भाषाओं में SCoPE (Science Communication, Popularisation and Extension) अभियान शुरू किया है। इसमें शामिल विज्ञान-भाषा पहल के अंतर्गत भारतीय भाषाओं में नवीनतम वैज्ञानिक शोध एवं विकास को संप्रेषित करने के लिए पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं। विज्ञान प्रसार द्वारा प्रिंट, डिजिटल, टेलीविजन और रेडियो के माध्यम से सभी भारतीय भाषाओं में विज्ञान सामग्री तैयार करके प्रसारित की जा रही है। इस कड़ी में विज्ञान प्रसार ने भारत के एकमात्र विज्ञान आधारित ओटीटी चैनल इंडिया साइंस टीवी की शुरुआत की है। इस चैनल ने अब तक हिंदी और अंग्रेजी में 3000 से अधिक कार्यक्रम बनाए हैं। इन कार्यक्रमों को अन्य भारतीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराये जाने की योजना है। (इंडिया साइंस वायर)

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