दिल्ली में मिली साँपों की आठ प्रजातियां

नई दिल्ली: एक ताजा अध्ययन में राजधानी दिल्ली में साँपों की आठ नई प्रजातियां पायी गई हैं। इस तरह दिल्ली में पायी जाने वाली साँप की प्रजातियों की संख्या 23 हो गई है। यह अध्ययन दिल्ली विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।

जनवरी 2016 से अक्तूबर 2020 के दौरान दिल्ली के विभिन्न शहरी वन क्षेत्रों, पार्कों, निजी उद्यानों, खेतों, खाली भूखंडों, झीलों और जल निकायों में किए गए व्यापक सर्वेक्षणों के माध्यम से शोधकर्ताओं को साँप की नयी प्रजातियों की मौजूदगी का पता चला है। इस दौरान दिल्ली के 11 जिलों में व्यापक सर्वेक्षण किया गया है।

इस अध्ययन में नौ परिवारों एवं 23 प्रजातियों के कुल 329 साँपों को शामिल किया गया है। दिल्ली में साँप की जो नई प्रजातियां पायी गई हैं, उनमें कॉमन ब्रॉन्ज-बैकड ट्री, कॉमन ट्रिंकेट, कॉमन कैट, बर्रेड वोल्फ, कॉमन कुकरी, स्ट्रीक्ड कुकरी, कॉमन सैंडबोआ और सॉ-स्केल्ड वाइपर शामिल हैं। इसके साथ ही, ‘फॉना ऑफ दिल्ली’ किताब में 1997 की उल्लेखित सूची में इन प्रजातियों के नाम भी जोड़ दिए गए है। ‘फॉना ऑफ दिल्ली’ पुस्तक दिल्ली के जीव प्रजातियों से परिचय कराती है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग से जुड़ीं प्रोफेसर डॉ चिराश्री घोष ने कहा है कि “शहरी जैव विविधता को दस्तावेज का रूप देने की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि नवीनतम आंकड़े और शहरी जीव जैव विविधता पर डेटा उचित रूप से संकलित नहीं किया गए हैं।” उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण के कारण साँपों सहित पशुओं की आबादी पर गहरा प्रभाव पड़ा है। जबकि, शहरी क्षेत्रों में जैव विविधता को बनाए रखने के लिए हरे-भरे स्थान बेहद ही महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने आगे कहा है कि रिज के रूप में प्राचीन अरावली पर्वतों की आखिरी श्रृंखला है, जो अब शहरी जंगलों या शहरी पार्कों के रूप में बंट गई है। घरों, बगीचों और औद्योगिक इलाकों या उसके आसपास आए दिन साँप देखने को मिलते हैं।

इस शोध से जुड़े एक अन्य अध्ययनकर्ता गौरव बरहादिया ने इंडिया साइंस वायर से बताया कि “दिल्ली में मुख्य रूप से स्तनधारी पशुओं और पक्षियों को प्राथमिकता मिली है। इस कारण राजधानी में साँपों की मौजूदगी पर कोई महत्वपूर्ण अध्ययन प्रकाशित नहीं हुआ। अध्ययन के दौरान हमें जितने भी साँप मिले, उनमें से ज्यादातर विषैले और हानिकारक नहीं थे। इसलिए, लोगों को उनसे डरने की आवश्यकता नहीं है।”

गौरव बरहादिया ने बताया कि “साँप शहरी जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और वे शहरी पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन, आज समाज में साँप के प्रति एक गलत अवधारणा बनी है, जिसके कारण उन्हें मौके पर ही मार दिया जाता है, जो गलत है। अध्ययन में यह पाया गया है कि दिल्ली में साँप की इन 23 प्रजातियों में से केवल चार प्रजातियां ही विषैली हैं।”

प्रोफेसर डॉ चिराश्री घोष के नेतृत्व में किया गया यह अध्ययन हाल ही में अमेरिकी शोध पत्रिका ‘रेप्टाइल्स ऐंड एम्फीबियन्स’ में प्रकाशित किया गया है। (इंडिया साइंस वायर)

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

22,027FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles