हरित ईंधन पर संयुक्त अनुसंधान करेंगे भारत और डेनमार्क

नई दिल्ली, 22 जनवरी: बढ़ते प्रदूषण और वैश्विक ताप की चुनौती को देखते हुए दुनिया भर में व्यापक रूप से उपयोग होने वाले जीवाश्म ईंधन के स्थान पर हरित ईंधन, जिसे जैव ईंधन के रूप में भी जाना जाता है, को पर्यावरण अनुकूल ईंधन के बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

बढ़ती पर्यावरणीय चुनौतियों को देखते हुए भारत और डेनमार्क ने हरित हाइड्रोजन सहित हरित ईंधन विकल्पों पर आधारित संयुक्त अनुसंधान व विकास पर सहमति जतायी है। हाल में आयोजित संयुक्त विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति की बैठक के दौरान भारत तथा डेनमार्क के बीच हरित ईंधन पर साथ मिलकर काम करनेपर सहमति बनी है।

संयुक्त विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति की इस वर्चुअल बैठक में भविष्य के हरित समाधानों- हरित अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में निवेश की रणनीति पर विशेष ध्यान देने के साथ दोनों देशों के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में राष्ट्रीय रणनीतिक प्राथमिकताओं और विकास पर चर्चा की गई है।विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी वक्तव्य में यह जानकारी दी गई है।

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने हरित सामरिक भागीदारी – कार्य योजना 2020-2025 को अंगीकार करते हुए जिस तरह की सहमति व्यक्त की थी, उसके अनुरूप ही समिति ने जलवायु व हरित परिवर्तन, ऊर्जा, जल, अपशिष्ट, भोजन सहित मिशन संचालित अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी विकास पर द्विपक्षीय सहभागिता के विकास पर जोर दिया है।

दोनों देश साझेदारी के विकास एवं विमर्श के लिए और भीवेबीनार आयोजित करने पर सहमत हुए हैं, और हरित हाइड्रोजन सहित हरित ईंधनों से संबंधित प्रस्तावों को बढ़ावा देने पर बल दिया है। इसके अलावा, संयुक्त समिति ने ऊर्जा अनुसंधान, जल, साइबर-फिजिकल प्रणाली और जैव संसाधन व माध्यमिक कृषि के क्षेत्रों में कार्यान्वित की जा रही पिछली दो संयुक्त परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा भी की।

इस बैठक की सह-अध्यक्षता भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) में अंतरराष्ट्रीय सहयोग मामलों के सलाहकार व प्रमुख एस.के. वार्ष्णेय और डेनमार्क सरकार की डेनिश एजेंसी फॉर हायर एजुकेशन ऐंड साइंस की उप-निदेशक डॉ. स्‍टीन जोर्जेंसन ने की।

डेनमार्क में भारत की राजदूत पूजा कपूर और नई दिल्ली में डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वान ने भी इस संयुक्त समिति को संबोधित किया। वहीं, भारत की ओर से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय व वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के प्रतिनिधि बैठक में शामिल थे। (इंडिया साइंस वायर)

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