नई दिल्ली: योग तन और मन में संतुलन साधने वाले सबसे सरल और सर्वोत्तम माध्यम के रूप स्थापित हो चुका है। योग की इसी विशेषताओं को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात साल पहले संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था, जिस पर दुनिया के 170 से अधिक देशों ने अपनी मुहर भी लगा दी। हाल ही में,बेंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (निमहांस ) द्वारा किए गए एक अध्ययन में मानसिक अवसाद के उपचार में भी योग की प्रभावी भूमिका की बात सामने आयी है।
निमहांस केशोध के अनुसार योग मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (एमडीडी) यानी गहन अवसाद से व्यक्ति को बाहर निकालने में उपयोगी सिद्ध होता है। इसकी क्लिनिकली और बायोलॉजिकली दोनों स्तरों पर इसकी पुष्टि की गई है।
बेंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (निमहंस) में मनोचिकित्सा (साइकेट्री) विभाग के प्रोफेसर डॉ. मुरलीधरन केसवन के नेतृ्त्व में हुए इस शोध में योग के उपचारात्मक प्रभावों के साथ उसके न्यूरोलॉजिकल निहितार्थों की पड़ताल की गई। यह शोध भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़े साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑफ योगा एंड मेडिटेशन (सत्यम) कार्यक्रम के अंतर्गत संपादित हुआ। यह ‘कनैडियन जर्नल ऑफ साइकेट्री’ में प्रकाशित भी हुआ है।
इससे पहले निमहंस में हुए अध्ययनों में भी यह सामने आया था कि एमडीडी से जुड़े लक्षणों के उपचार में योग ने प्रभावी परिणाम दिए। ये लक्षण तनाव से जुड़े हार्मोन्स से संबंधित हैं। साथ ही इसका संबंध मस्तिष्क में गम्मा एमिनोब्यटेरिक एसिट (गाबा) के साथ-साथ मस्तिष्क के स्वचालित संचालन से भी है। नए अध्ययन से जुड़ी टीम ने योग थेरेपी की प्रभावोत्पादका का विभिन्न पहलुओं पर आकलन किया है। इसके लिए उन्होंने साढ़े तीन वर्षों की अवधि के दौरान 70 लोगों पर गाबा एक्टिविटी, ब्लड बायोमार्कर्स, भावनात्मक प्रक्रिया एवं मस्तिष्क संबंधी गतिविधियों के अलावा हृदय की गति से जुड़ी विभिन्नताओं (एचआरवी) का आकलन किया गया।
उल्लेखनीय है कि आज कोरोना महामारी के विरुद्ध चिकित्सा विज्ञान के साथ योग भी एक प्रभावी उपचार पद्धति के रूप में अपना योगदान दे रहा है। कोविड की दूसरी लहर के दौरान गंभीर कोरोना मरीजों में ऑक्सीजन स्तर में गिरावट एक बड़ी चुनौती साबित हुई है। ऐसे में, शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने में विभिन्न प्रकार के योगिक प्राणयाम अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुए हैं। (इंडिया साइंस वायर)